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25 April 2020

किसी की छत, किसी का फ़र्श ।


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किसी की छत, किसी का फ़र्श होती है।
जो छत सिर पे चढ़ जाए 
वो ज़मीन बन क़दमों में भी सिमटती है। 

जिसे समझ ख़ाक तुम पैरों तले रोंदते हो,
वह कभी बन के आसमा तुम्हें अपने में पनाह देती है।

यह बनती है बेजान चीज़ों से 
मगर कितनी जानो को यह संजोति है।

दोनो हो भले ही एक दूसरे से पृथक
मगर दीवारों से सरपरस्त जुड़ी है।

स्तंभों से मिलकर यह एक दूसरे के साथ खड़ी है।
एक को छोड़ दूसरे को बेहतर बनाओगे,
तो कभी गिर, या कभी भीग जाओगे।

जब छत और फ़र्श के मक़ाम को बराबर समझ पाओगे,
और बन के एक सीधी इनसे जुड़ जाओगे,
तभी तुम एक सफल मकान बना पाओगे।



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#एकता #writtenByMe #OriginalPoem

05 April 2020

दिया जलाओ इंडिया! India Fights Corona | 5th April! 2020

दिया जलाओ मगर 

दिया जलाओ मगर 
दूसरी लाइट्स वगेरह मत बुझाओ 
एक रोशनी को बुझा के दूसरी को जलाया तो क्या कमाल किया?

रोशनी- रोशनी होती है 
उसमें भी भेद-भाव मत लाओ।

Solidarity दिखाने के और भी कई तरीक़े है,
वो जो कर्मचारी, लाक्डाउन के बावजूद, हर दिन corona के ख़तरे को झेल कर, 
पावर ऑफ़िस जाता है,
यह सुनिस्चित कर आता है 
की लाक्डाउन में भले ही राशन ना मिले
पर रोशनी बने रहे,
थोड़ी सॉलिडैरिटी उसके लिए भी लाओ।


क्यूँकि हर चीज़ प्रधान मंत्रीजी ही क्यूँ आपको बताए?
मुश्किल की घड़ी में कितनो को कितनी चीज़ें समझाए?
थोड़ा अपना दिल-दिमाग़ भी लगाओ।

एक रोशनी के लिए, दूसरी रोशनी को मत बुझाओ।
दिया जलाओ मगर दूसरी लाइट्स वगेरह को मत बुझाओ।
#JanhitMeinJaari #LightADiyaIndia #IndiaFightsCorona 

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