Who Read Blogs?
है वो तनहा बेज़ार
जिसकी ज़िंदगी बेमक़सद, बेकार
ढूँढ ले कोई मक़सद नया ।
या तो सूरज बन, ढल के भी चमचमा
या फिर संग तारो के टिमटिमा।
ख़ाली पड़ी ज़मीन बंजर बन जाती है।
या तो सड़क बन, राह दिखा
या फिर खेत बन, लहलहा।
-----
Comments
Post a Comment
Hi Folks,
You heard me...now its time for Bouquets and Brickbats!