मक़सद नया

 है वो तनहा बेज़ार

जिसकी ज़िंदगी बेमक़सद, बेकार

ढूँढ ले कोई मक़सद नया ।


या तो सूरज बन, ढल के भी चमचमा

या फिर संग तारो के टिमटिमा। 


ख़ाली पड़ी ज़मीन बंजर बन जाती है। 

या तो सड़क बन, राह दिखा

या फिर खेत बन, लहलहा।


ढूँढ ले कोई मक़सद नया ।

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