भीगी मुट्ठी ©️
वह हर एक लम्हा मैंने हथेली पर पानी की तरह उसस रिश्ते को सम्भालना चाहा।
बैठी रही घंटो तक, तेरे इंतेज़ार में
की तू आए
और कुछ बूँदे अपनी भी हथेलियों पर रख ले
में बूँद बूँद जिससे बचाती रही
वह तो बन के बादल बरस गए।
ईंट पत्थरों से बने इस घर में
रिस रिस जाने कहा बह गए।
मैंने बड़ी कोशिश की
कभी हाथ जोड़ कभी अंजुल भर के उन्हें बचाने की।
मगर उषम तापमानो में कही
वह भाप बन के उड्ड गए।
अब बादल बन के शायद छुपे हो वो कभी।
फिर किसी बारिश या मौसम बरसे वो कभी।
मैं बंद कर अपनी मुट्ठियों को
पलकों में छुपा लूँगी उन्हें।
भीगी पलकों से कुछ बूँद अगर छलक भी जाए तो क्या है।
में उन्हें फिर हथेलियों में समेटने की कोशिश करूँगी।
_____________
©️ एकता खेतान द्वारा कृत
बैठी रही घंटो तक, तेरे इंतेज़ार में
की तू आए
और कुछ बूँदे अपनी भी हथेलियों पर रख ले
में बूँद बूँद जिससे बचाती रही
वह तो बन के बादल बरस गए।
ईंट पत्थरों से बने इस घर में
रिस रिस जाने कहा बह गए।
मैंने बड़ी कोशिश की
कभी हाथ जोड़ कभी अंजुल भर के उन्हें बचाने की।
मगर उषम तापमानो में कही
वह भाप बन के उड्ड गए।
अब बादल बन के शायद छुपे हो वो कभी।
फिर किसी बारिश या मौसम बरसे वो कभी।
मैं बंद कर अपनी मुट्ठियों को
पलकों में छुपा लूँगी उन्हें।
भीगी पलकों से कुछ बूँद अगर छलक भी जाए तो क्या है।
में उन्हें फिर हथेलियों में समेटने की कोशिश करूँगी।
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©️ एकता खेतान द्वारा कृत
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Hi Folks,
You heard me...now its time for Bouquets and Brickbats!