Sapne, Jimmedariya, GST


अधरों से उतर 

कंधे पे ठहर 

सी गयी थी मेरी अभिलाषा । 

आँखो से बरस,

लहू में सरस 

हाथों में आयी निराशा ।

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सपनो ने लिए नए ढलान,

गहराइयो ने नयी उड़ान 

पैरो तले दलदल सी बही विपाशा [नदी]

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स्वरों से जूझी 

कानो से बूझी 

निर्मम - मलिन धूसरित हुई मेरी आशा।

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